नए साल में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाबौ में 50 आउटसोर्सिंग माध्यम से कम कर रहे कर्मचारियों की सेवाएं हो जाएगी समाप्त

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रिपोर्ट/मुकेश बछेती

 

 

पाबौ//पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर संचालित हो रहे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाबौ का एक बार फिर से 1 जनवरी से सरकारी हाथ में जाने बाद पाबौ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्य कर रहे 50 से अधिक कार्मिकों का भविष्य अधर पर लेट गया है। बीती दिनों स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने जनपद दौरे के दौरान कहा था की डेट माह के बाद पीपीपी मोड पर संचालित हो रहे जनपद के सभी अस्पतालों को फिर से सरकारी हाथों में वापस ले लिया जाएगा। जिससे पाबौ अस्पताल में सेवाएं दे रहे कार्मिकों को अपनी रोजी-रोटी की चिंता सताने लगी है। पहाड़ों में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को और मजबूत देने के उद्देश्य से तत्कालीन सरकार द्वारा 2021 में जनपद के जिला अस्पताल सहित तीन अन्य अस्पतालों को पीपीपी मोड पर संचालित करने का निर्णय लिया था। मगर सरकार के फैसले के विपरीत स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर करने में निजी हाथ ज्यादा कुछ नही कर पाए ओर जनपद की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बेहतर नहीं हो पाई। जिसके कारण स्थानीय लोगों द्वारा प्राइवेट हाथों में संचालित हो रहे अस्पतालों को फिर से सरकारी हाथों में वापस लेने की मुहिम शुरू की गई। सरकार द्वारा 4 साल के लिए इन अस्पतालों को निजी हाथों में दिया गया था जिसका अनुबंध इस वर्ष नवंबर में समाप्त होने जा रहा है और नवंबर में अनुबंध समाप्त होने के बाद इन्हें सरकारी तंत्र में शामिल किया जाएगा। जिससे इन अस्पतालों में कार्य करने वाले कार्मिकों में रोष के साथ अपनी रोजी-रोटी का संकट भी गहराने लगा है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाबौ में अपनी सेवाएं दे रहे प्रदीप रावत ने बताया कि वे बीते 4 सालों से लगातार अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं अब जब अस्पताल का अनुबंध आगे नहीं बढ़ पाया, तो उन्हें रोजी-रोटी से हाथ धोना पड़ रहा है । उन्हें कहा कि अगर प्रदेश सरकार सभी कर्मचारियों को पद के सापेक्ष समायोजित अस्पतालों में कर देती है तो उनकी रोजी रोटी बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि उनके साथ ही अन्य 50 से अधिक कार्मिक जो अस्पताल में सेवाएं दे रहे है वो भी बेरोजगार हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सभी के परिवार यहां नौकरी करने से चल रहे हैं जिन्हें प्रदेश सरकार के इस फैसले से बड़ा आघात लगा है। उन्होंने बताया कि वे सभी प्रदेश सरकार की फैसले का सम्मान करते हैं मगर उम्मीद करते हैं कि पद की सापेक्ष उन्हें भी सरकारी तंत्र में स्थान दिया जाए। जिससे उनकी रोजी-रोटी भी चलती रहे। इस दौरान सूरज चौहान, नूतन डोभाल, सपना, अजय बिष्ठ, अर्चना,बसंती देवी आदि मोजूत रहे।

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