पाबौ//पैठानी में एक धर्म विशेष के युवक द्वारा स्थानीय युवती का अश्लील वीडियो वायरल करने की घटना ने इलाके में तनाव पैदा कर दिया था । इस तनाव को देखते हुए और क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से पाबौ पुलिस ने पाबौ, चिपलघाट और अन्य प्रमुख बाजारों में सद्भावना फ्लैग मार्च निकाला।
फ्लैग मार्च के दौरान पुलिस ने स्थानीय नागरिकों से अपील की कि वे शांति बनाए रखें और किसी भी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान न दें। यह मार्च असामाजिक तत्वों को यह सख्त संदेश देने के लिए था कि कानून व्यवस्था को भंग करने की किसी भी कोशिश को पुलिस बर्दाश्त नहीं करेगी। पुलिस अधिकारियों ने लोगों को भरोसा दिलाया कि सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
चौकी प्रभारी नवीन पुरोहित ने बताया कि इस घटना के बाद माहौल को शांत और सुरक्षित बनाए रखने के लिए पाबौ, चिपलघाट और अन्य प्रमुख बाजारों में पुलिस द्वारा सद्भावना फ्लैग मार्च निकाला गया। इस फ्लैग मार्च का मुख्य उद्देश्य स्थानीय नागरिकों को यह भरोसा दिलाना था कि कानून और व्यवस्था कायम रखने के लिए पुलिस पूरी तरह सजग है।
उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे किसी भी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान न दें और आपसी भाईचारा बनाए रखें। इसके माध्यम से असामाजिक तत्वों को स्पष्ट संदेश दिया गया कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और पुलिस किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। इस दौरान चौकी प्रभारी पाठीसेंण, हेड कांस्टेबल बारू दत्त शर्मा,पीएसी के जवान मौजूद रहे।
पौड़ी/देहरादून(पहाड़ ख़बरसार)राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा उत्तराखंड के आह्वान पर पुरानी पेंशन बहाली हेतु आज पूरे प्रदेश में महिलाओं ने अपने हाथों में ओ पी एस बहाली की मेहंदी लगा कर एन पी एस का विरोध किया है। पूरे प्रदेश की महिलाएं सरकार से यह मांग कर रही हैं कि तत्काल सरकार एन पी एस और यू पी एस को समाप्त कर ओ पी एस को बहाल करें। भारत सरकार ने 2004 में और राज्य सरकार ने 1 अक्टूबर 2005 को पूरे देश में ओ पी एस योजना को बंद कर एन पी एस योजना लागू की गई थी। उस समय कर्मचारियों के लिए एन पी एस एक अच्छी योजना बताई गई व बड़े बड़े सपने दिखाए गए। परन्तु जब आज कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो उन्हें मात्र सात सौ से सोलह सौ रुपए तक पेंशन दी जा रही है जो कि कर्मचारियों के साथ बहुत बड़ा धोका किया गया है। इसीलिए आज सभी कर्मचारियों द्वारा एन पी एस का विरोध किया जा रहा है। और आज महिलाओं द्वारा अपने हाथ में ओ पी एस लिख कर एन पी एस का विरोध किया गया है।इसी के क्रम में अब चार नवंबर को देहरादून में सचिवालय घेराव कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा लगातार ओ पी एस बहाली के लिए लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांग को सरकार के सम्मुख करने का प्रयास करता आ रहा है परन्तु सरकार अभी भी ओ पी एस बहाली पर को कार्यवाही नही कर रही है।
प्रदेश प्रभारी प्रदेश बिक्रम सिंह रावत अध्यक्ष जयदीप सिंह रावत व कार्यकारी अध्यक्ष डाक्टर मनोज अवस्थी ने कहा कि सांसद विधायक एक दिन भी सांसद विधायक बनते हैं तो उन्हें आजीवन पेंशन दी जाती है और हमारे कर्मचारी साठ साल की उम्र तक नौकरी करते हैं तो उनकी पेंशन सरकार ने बंद कर दी है यह दोहरा मापदंड ठीक नहीं है इसलिए सरकार को शीघ्र ही ओ पी एस योजना बहाल कर देनी चाहिए। प्रदेश सह प्रभारी जसपाल सिंह गुसांई संयुक्त सचिव अभिषेक नवानी प्रदेश समन्वयक लक्ष्मण सिंह सजवाण, शंकर भट्ट, नरेश भट्ट, डॉ, बृज मोहन रावत, मांगेराम आर्य ने कहा कि पेंशन हमारा हक है जिसमें कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि पेंशन सरकार कोई खैरात में नहीं दे रही है बल्कि यह कर्मचारी का अधिकार है क्योंकि कि वह साठ साल तक जन सेवा के कार्य करता है। इसलिए उसके बुढ़ापे का सहारा है और सामाजिक सुरक्षा संरक्षण देना सरकार का कर्तव्य है। आज के कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष बबिता रानी एवं मातृशक्ति ने विशेष योगदान दिया है जिसमें रश्मि गौड़, शशि चौधरी,निर्मला राणा जी मंजू असवाल जी मंजू नेगी जी कमलेश चंद्रिका शाह जी नीलम नेगी जी पुनम धूलिया ललिता जोशी सरस्वती सकलानी जी रिंकी टम्टा,अनीता बिष्ट, नजनीन खान, रनिता प्रसाद विश्वकर्मा, सीमा पुण्डीर,नीलम पाल,नीलम रावत, सीमा पुंडीर नीलम पाल, नीलम रावत, सुनीता कपरवाल, मंजू पुरोहित, अलका रावत,अनीता बिष्ट,मीनाक्षी सती, अनीता नेगी सुनीता,मंजू पुरोहित, मीनाक्षी सती,अलका रावत, अनीता बिष्ट, अनीता नेगी , यमुना रावत, जीवंती नेगी,सुनीता गुसाई,आरती,शान्ति,सीमा,सबिता सेमवाल, बबीता रावत, अंजना उनियाल,मंजू खत्री, ज्योति नौटियाल,उषा पोखरियाल,आरती सिंह,नेहा बंगवाल, पूनम खंतवाल,पूनम रावत,लुबना बल्दिया,प्रियंका मेहरा, सपना त्यागी, प्रीती चौरसिया,अनीता बिष्ट,अम्बिका आदि नेतृत्व करने वाली महिलाओं ने अपनी भूमिका निभाई है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अभिषेक नवानी, पूरन फर्शवान,सौरव नौटियाल,राजीव उनियाल, राकेश रावत, विवेक सैनी, केदार फर्स्वाण, माखन लाल शाह, विजय कुमार, दीपक मियां अजीत नेगी, मनोज कुमार,आदि ने सहयोग प्रदान किया है।
पाबौ//जनपद पौड़ी समेत कई पहाड़ी क्षेत्रों में पहले संकट चौथ का व्रत पारंपरिक रूप से मनाया जाता था, जो एक अलग धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व रखता है। इस व्रत को संकटों से मुक्ति और पारिवारिक समृद्धि के लिए किया जाता था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बाजारवाद और मीडिया के बढ़ते प्रभाव के कारण, इन क्षेत्रों में भी करवाचौथ का चलन बढ़ गया है। इस प्रवृत्ति में स्थानीय परंपराओं को दरकिनार कर शहरी और बॉलीवुड-प्रेरित त्यौहारों को अपनाने का रुझान दिखाई दे रहा है।
स्थानीय परंपराओं की अनदेखी:
पहाड़ी क्षेत्रों में संकट चौथ का व्रत पहले से ही एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान था, जो महिलाओं द्वारा संकटों से मुक्ति के लिए रखा जाता था। लेकिन अब, करवाचौथ की बढ़ती लोकप्रियता के कारण, स्थानीय परंपराएं धीरे-धीरे कमजोर हो रही हैं। यह एक प्रकार से स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर की अनदेखी है।
बाजारवाद का बढ़ता प्रभाव:
बाजारवाद के चलते करवाचौथ का त्यौहार एक बड़े उपभोक्तावादी उत्सव में बदल चुका है। महंगे वस्त्र, आभूषण, सजावटी सामान, और सौंदर्य प्रसाधन करवाचौथ के साथ जोड़ दिए गए हैं, जिससे इस त्यौहार की सादगी और मूल भावना कहीं खोती जा रही है। यह प्रभाव पहाड़ी क्षेत्रों तक भी पहुंच गया है, जहां अब महिलाएं भी इसी तरह के दिखावे और उपभोक्तावादी गतिविधियों में संलग्न होती दिख रही हैं।
मीडिया और सोशल मीडिया का दबाव:
टीवी शो, फिल्में और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म करवाचौथ को एक रोमांटिक और ग्लैमरस उत्सव के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जो महिलाओं के बीच आकर्षण पैदा करता है। इस प्रचार के चलते पारंपरिक व्रत जैसे संकट चौथ की तुलना में करवाचौथ को अधिक महत्त्व दिया जाने लगा है।
सांस्कृतिक बदलाव:
इस प्रकार के सांस्कृतिक बदलाव कहीं न कहीं आधुनिकता और परंपराओं के बीच की खाई को उजागर करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब शहरी संस्कृति और बाजारवाद का असर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जिससे स्थानीय पहचान और परंपराएं कमजोर पड़ती जा रही हैं।
पहाड़ी क्षेत्रों में करवाचौथ को अपनाने और संकट चौथ जैसी परंपराओं को भूलना कहीं न कहीं बाजारवाद और सांस्कृतिक हस्तक्षेप का परिणाम है। यह महत्वपूर्ण है कि लोग अपने पारंपरिक त्योहारों और सांस्कृतिक धरोहरों को बनाए रखें और बाजारवाद के अतिरेक से दूर रहें।
परमार्थ निकेतन माँ गंगा के पावन तट पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में किया शस्त्र पूजन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100वें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर इस ऐतिहासिक एवं विलक्षण यात्रा को समर्पित की आज की परमार्थ निकेतन गंगा आरती
ऋषिकेश(पहाड़ ख़बरसार) परमार्थ निकेतन में शिक्षा, स्वास्थ्य और सहकारिता मंत्री उत्तराखंड सरकार धनसिंह रावत सपरिवार पधारे। उन्होंने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में विश्व विख्यात गंगा जी की आरती में सहभाग किया। मंत्री ने आज विजयदशमी के पावन अवसर पर परमार्थ गंगा तट पर आयोजित शस्त्र पूजन में वेद मंत्रों के साथ अस्त्र-शस्त्रों का पूजन किया। धनसिंह रावत ने इस अवसर पर कहा कि परमार्थ निकेतन में आना और गंगा जी की आरती में सम्मिलित होना मेरे लिए अत्यंत गर्व की बात है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती के सान्निध्य में यह अनुभव अत्यंत प्रेरणादायक और आध्यात्मिक है। विजयादशमी के पावन अवसर पर शस्त्र पूजन कर अपने राष्ट्र, राज्य व समाज की सुरक्षा और समृद्धि हेतु गंगा जी से प्रार्थना की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज अपने स्थापना के 100वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है इस दिव्य अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि राष्ट्रऋषि डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने 1925 में विजयादशी के दिन ही इस संगठन की स्थापना की थी तब से लेकर आज तक जो ऐतिहासिक, विलक्षण और अद्भुत सेवा कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने किये वह अविस्मरणीय है। इस ऐतिहासिक अविरल यात्रा को अनवरत जारी रखने के लिये डा केशव बलिराम हेडगेवार जी से लेकर श्रद्धेय गुरूजी और माननीय सरसंघचालक, आधुनिक वैज्ञानिक, ऋषि माननीय मोहन भागवत जी तक और स्वयं सेवक संघ परिवार के सभी सदस्य में सेवा, सयंम और समर्पण का अद्भुत संगम है और यह यात्रा अद्भुत, अलौकिक और अवर्णनीय है। क्या तो समर्पण है और क्या ही सेवा का भाव है। सेवा में ही आनंद. उमंग, उत्साह, उल्लास, जज्बा, जुनून, और जोश, ये सब संघ के संस्कार है, जो गुरु जी का मंत्र ’राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम’ यह सब इसी की देन है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राष्ट्रभक्ति और सांस्कृतिक धरोहर को विगत 99 वर्षो से सहेज कर रखा है और भारतीय समाज में नैतिकता, देशभक्ति और सामाजिक समरसता को जीवंत व जागृत रखने हेतु अद्भुत कार्य किये हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, आपदा राहत और स्वच्छता जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान दिया। इस संस्था का देश की सुरक्षा और अखंडता के प्रति जो समर्पण है वह अद्भुत है। समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को मुख्य धारा में लाने के लिये जो कार्य आरएसएस द्वारा किये जा रहे हैं वह अनुकरणीय है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह शताब्दी वर्ष और विजयादशमी का पर्व हमें अपने उद्देश्यों और संकल्पों की याद दिलाता है। इस ऐतिहासिक अवसर पर हम माँ गंगा से प्रार्थना करते हैं कि यह यात्रा इसी तरह अनवरत जारी रहे और आज की विश्व विख्यात परमार्थ निकेतन गंगा आरती समर्पित करते हैं। स्वामी जी ने हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट कर माननीय मंत्री श्री धन सिंह रावत जी का आज विजयादशमी के दिन अभिनन्दन किया।
पौड़ी(पहाड़ ख़बरसार)राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा उत्तराखंड के प्रांतीय नेतृत्व के आह्वान पर आज पूरे प्रदेश में ओ पी एस बहाली के लिए आज एन पी एस रावण का पुतला दहन किया गया है। पौड़ी में प्रांतीय अध्यक्ष जयदीप रावत , प्रदेश प्रांतीय महामंत्री सीताराम पोखरियाल के निर्देशन में पौड़ी तहसील के समीप एन पी एस रावण का पुतला दहन किया गया। यह कार्यक्रम पूर्व से ही पूरे प्रदेश में निर्धारित किया गया था जिसे प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर विजय दशमी के अवसर पर रावण का पुतला दहन किया जाना है। इसलिए प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर रावण का पुतला जला कर सरकार और शासन से माग की गई है कि शीघ्र ही प्रदेश में शिक्षक कर्मचारीयों की पुरानी पेंशन बहाल की जाय।
यह एक सांकेतिक रूप से जारी किया गया कार्यक्रम था सरकार को इस पावन पर्व पर सभी शिक्षक कर्मचारी यह संदेश देना चाहते हैं कि जिस प्रकार से राम ने सत्य के मार्ग पर चल कर ऐसे अत्याचारी रावण का नाश किया है और जनता को रावण के पापों से मुक्त कराया है उसी प्रकार विजयदशमी के पर्व पर प्रदेश के शिक्षक कर्मचारियों ने भी इस पर्व को मनाने के लिए अपनी ओ पी एस बहाली के लिए आज का कार्यक्रम निर्धारित किया है। हमारी सरकार से मांग है कि वह शीघ्र ही प्रदेश में ओ पी एस बहाल करें नहीं तो इस प्रदेश के शिक्षक कर्मचारी चुप बैठने वाला नहीं है और अपनी मांग को पूरा करने के लिए संकल्प लिया हैं. कार्यक्रम मे भवान सिंह नेगी, रेवती डंगवाल, प्रेम चंद ध्यानी, प्रवीन कुमार, दीपक नेगी आदि थे.
पाबौ//पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर संचालित हो रहे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाबौ का एक बार फिर से सरकारी हाथ में जाने की घोषणा के बाद पाबौ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्य कर रहे 50 से अधिक कार्मिकों का भविष्य अधर पर लेट गया है। बीती दिनों स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने जनपद दौरे के दौरान कहा था की डेट माह के बाद पीपीपी मोड पर संचालित हो रहे जनपद के सभी अस्पतालों को फिर से सरकारी हाथों में वापस ले लिया जाएगा। जिससे पाबौ अस्पताल में सेवाएं दे रहे कार्मिकों को अपनी रोजी-रोटी की चिंता सताने लगी है। पहाड़ों में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को और मजबूत देने के उद्देश्य से तत्कालीन सरकार द्वारा 2021 में जनपद के जिला अस्पताल सहित तीन अन्य अस्पतालों को पीपीपी मोड पर संचालित करने का निर्णय लिया था। मगर सरकार के फैसले के विपरीत स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर करने में निजी हाथ ज्यादा कुछ नही कर पाए ओर जनपद की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बेहतर नहीं हो पाई। जिसके कारण स्थानीय लोगों द्वारा प्राइवेट हाथों में संचालित हो रहे अस्पतालों को फिर से सरकारी हाथों में वापस लेने की मुहिम शुरू की गई। सरकार द्वारा 4 साल के लिए इन अस्पतालों को निजी हाथों में दिया गया था जिसका अनुबंध इस वर्ष नवंबर में समाप्त होने जा रहा है और नवंबर में अनुबंध समाप्त होने के बाद इन्हें सरकारी तंत्र में शामिल किया जाएगा। जिससे इन अस्पतालों में कार्य करने वाले कार्मिकों में रोष के साथ अपनी रोजी-रोटी का संकट भी गहराने लगा है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाबौ में अपनी सेवाएं दे रहे प्रदीप रावत ने बताया कि वे बीते 4 सालों से लगातार अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं अब जब अस्पताल का अनुबंध आगे नहीं बढ़ पाया, तो उन्हें रोजी-रोटी से हाथ धोना पड़ रहा है । उन्हें कहा कि अगर प्रदेश सरकार सभी कर्मचारियों को पद के सापेक्ष समायोजित अस्पतालों में कर देती है तो उनकी रोजी रोटी बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि उनके साथ ही अन्य 50 से अधिक कार्मिक जो अस्पताल में सेवाएं दे रहे है वो भी बेरोजगार हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सभी के परिवार यहां नौकरी करने से चल रहे हैं जिन्हें प्रदेश सरकार के इस फैसले से बड़ा आघात लगा है। उन्होंने बताया कि वे सभी प्रदेश सरकार की फैसले का सम्मान करते हैं मगर उम्मीद करते हैं कि पद की सापेक्ष उन्हें भी सरकारी तंत्र में स्थान दिया जाए। जिससे उनकी रोजी-रोटी भी चलती रहे। इस दौरान सूरज चौहान, नूतन डोभाल, सपना, अजय बिष्ठ, अर्चना,बसंती देवी आदि मोजूत रहे।
पाबौ//राजकीय महाविद्यालय पाबौ में गांधी जयंती एवं लाल बहादुर शास्त्री जयंती के उपलक्ष में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ध्वजारोहण के उपरांत महाविद्यालय प्रांगण में स्वच्छता अभियान चलाया गया। जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। इसके उपरांत गांधीजी एवं शास्त्री जी के चित्र पर सभी प्राध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं द्वारा पुष्पार्चन किया गया। इसके उपरांत बी•ए• प्रथम सेमेस्टर की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई।
महाविद्यालय के प्राचार्य, प्राध्यापक गण, कर्मचारी गण एवं छात्र-छात्राओं द्वारा रामधुन एवं वैष्णो जनतो गीत का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बी•ए• प्रथम सेमेस्टर की छात्रा सृष्टि ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया । प्रथम सेमेस्टर की ही छात्रा रितिका ने गांधी जी एवं शास्त्री जी के जीवन पर विचार रखे। बी•ए•पंचम सेमेस्टर की छात्रा सुभाषिनी द्वारा कविता पाठ किया गया| इस उपलक्ष में महाविद्यालय के शिक्षा विभाग के प्राध्यापक डॉ• सौरभ सिंह ने गांधी जी के शैक्षिक विचारों से छात्र-छात्राओं को अवगत कराया| उन्होंने गांधी जी के “करके सीखने” के सिद्धांत एवं सर्वोदय के सिद्धांत पर विचार रखे। संस्कृत विभाग के प्राध्यापक डॉ•धर्मेंद्र सिंह द्वारा संस्कृत में कविता पाठ किया गया| महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर सत्य प्रकाश शर्मा ने गांधीजी तथा शास्त्री जी के जीवन से जुड़े विभिन्न संस्मरणों से छात्र-छात्राओं को अवगत करवाया, जिससे वह अपनी जीवन शैली में अपना कर प्रेरित हो सके| उन्होंने बताया की महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री ऐसे विभूतियां हैं जो किसी परिचय की मोहताज नहीं है उनकी जीवन शैली एवं विचारों को अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में सफलता ही पाएगा ।कार्यक्रम का संचालन समाजशास्त्र विभाग की प्राध्यापक डॉ• तनूजा रावत द्वारा किया गय। इस मौके पर उन्होंने भी गांधी जी के ‘स्वावलंबन’ एवं ‘स्वराज’ पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ•रजनी वाला, डॉ सौरभ सिंह, श्री दीपक कुमार ,डॉ सरिता ,डॉ धर्मेंद्र सिंह एवं सभी कर्मचारी गण मौजूद रहे।
देहरादून(पहाड़ ख़बरसार)राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा उत्तराखंड के द्वारा आज एक अक्टूबर को पूरे प्रदेश में अधिकारी शिक्षक कर्मचारियों ने काला दिवस मनाया गया। जिसमें सभी अधिकारी शिक्षक कर्मचारियों ने अपनी बांहों पर काली पट्टियां बांधी गई व काली टोपी व काले कपड़े पहन कर एन पी एस का विरोध किया गया है।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा लगातार ओ पी एस बहाली के लिए कई वर्षों से आन्दोलनरत है और एन पी एस का विरोध कर रहा है। पौड़ी में मोर्चा के तहसील सयोजक डी. एस रावत वव पौड़ी नगर शाखा अध्यक्ष प्रवीण ने संयुक्त वयान जारी कर कहा कि यह विरोध तब तक जारी रहेगा जबतक सरकार ओपीएस बहाल नहीं करती है। आज के इस दिवस को काला दिवस इस लिए मनाया जाता है क्योंकि कि आज के ही दिन सरकार ने एन पी एस योजना को पूरे देश में लागू किया था और ओ पी एस योजना को बंद कर दिया गया था। इसलिए यह दिवस हमारे कर्मचारियों के साथ हुए धोके के लिए काला दिवस है।हमारे संगठन द्वारा सड़क से लेकर संसद तक आन्दोलन किए गए हैं परन्तु भारत सरकार ने हमारे कर्मचारियों के साथ धोका करके एन पी एस की जगह यू पी एस योजना को लागू करने का निर्णय लिया है जिसका भी हम विरोध करते हैं क्योंकि कि इस योजना में कर्मचारियों का दस प्रतिशत अंशदान काटा जा रहा है और उसके वापसी का कोई प्रावधान नहीं है जिससे कर्मचारियों को लाखों रुपए का नुक़सान होगा। हमारी मांग ओ पी एस बहाली की है। उन्होंने कहा कि आज पौड़ी क्षेत्र के सभी कार्यालयों विद्यालयों में सभी कर्मचारियों ने काला दिवस मनाया है शिक्षक कर्मचारीयो ने सोसल मीडिया के माध्यम से भी एन पी एस का विरोध किया है सभी लोगों द्वारा अपनी फेसबुक आई डी और ट्विटर ह्वटस अप आई डी सभी पर एक अक्टूबर काला दिवस का पोस्टर लगाया गया है। जो कि हमारी सरकार से इस बात का प्रतीक है कि हम एन पी एस का विरोध करते हैं।और भारी संख्या में लोगों ने इस दिवस पर राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा को अपना समर्थन दिया है। नोप्रुफ के पौड़ी से जयदीप रावत कहा कि सांसद विधायक मंत्री ओ पी एस योजना से आच्छादित हैं और कर्मचारियों के लिए सरकार तीन प्रकार की पेंशन योजना चला रही है क्या यह इस देश के एक संविधान एक विधान के विपरीत नहीं है क्या। जो व्यक्ति एक दिन का भी सांसद विधायक बन जाता है उसे पेंशन दी जाती है और वह जितनी बार विधायक सांसद बनता है उसे उतनी बार पेंशन दी जाती है। जबकि अधिकारी शिक्षक कर्मचारी अपने जीवन काल में साठ साल की उम्र तक नौकरी करता है और उसे पेंशन नहीं दी जा रही है तो ऐसा दोहरा मापदंड ठीक नहीं है।हम इसका विरोध करते हैं व सरकार से पुरानी पेंशन बहाली की मांग करतें हैं। एन पी एस से जो हमारे कर्मचारी आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं उन्हें मात्र सात सौ,बारह सौ सोलह सौ, पेंशन दी जा रही है जो उनके साथ भद्दा मजाक है और उनके साथ अन्याय है हमारी लड़ाई अन्याय के खिलाफ है। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने कहा कि जो भी सरकार हमारी मांग को पूरा करेगी हम हमेशा उसके साथ खड़े रहेंगे। आज के सफल कार्यक्रम के लिए मोर्चा के पदाधिकारियों ने सभी अधिकारियों शिक्षकों कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया है और आगे भी पेंशन बहाली की लड़ाई में सभी से ऐसे ही सहयोग और समर्थन की आशा की गई है। जसपाल सिंह गुसांई प्रांतीय सह संयोजक सह प्रभारी उत्तराखंड। कार्यकम मे रश्मि कठेत, कविता, दीपक नेगी, धर्मेंद्र उनियाल, रेवती ढंगवाल, संजय नेगी, मनोज काला, संग्राम नेगी, जसपाल रावत, दीपक कांत,नरेंद्र नेगी आदि ने सहयोग किया.
पाबौ(पहाड़ ख़बरसार)जनपद के विकासखंड पाबौ का पोखरीगांव इन दिनों एक अकेले बंदर के आतंक से परेशान है यह अकेला बंदर बुजुर्ग और बच्चों में हमला कर लगातार उन्हें घायल कर रहा है। मामला विकासखंड के पोखरीगांव का है जहां पर एक अकेले बंदर के कारण सभी ग्रामीण परेशान है यह अकेला बंदर मुख्यतः बुजुर्ग और बच्चों को अपना निशाना बना रहा है इस बंदर का इतना ज्यादा खौफ गांव के अंदर है कि कोई भी ग्रामीण खेतों व गांव के आस अकेले में नहीं निकल पा रहा है पोखरीगांव निवासी पूनम पोखरियाल ने बताया कि उनका गांव एक अकेले बंदर के आतंक से जूझ रहा है उन्होंने कहा कि अकेला बंदर लगातार ग्रामीणों को घायल कर रहा है उन्होंने बताया कि बीते दिनों इस बंदर द्वारा गांव के बुजुर्ग महिलाओं पर हमला कर उन्हें घायल किया गया, जबकि बच्चों को भी यह अपना निशाना बना रहा है उन्होंने कहा कि इस बंदर का आतंक इतना ज्यादा बढ़ गया है कि ग्रामीण अपनी दिनचर्या के काम अकेले करने से घबरा रहे हैं। उन्होंने वन विभाग से मांग की है कि वन विभाग इस बंदर को पिंजरे में कैद कर अनियंत्रित जगह छोड़े। जिससे ग्रामीणों को इस बंदर के आतंक से निजात दिलाई जा सकी। इस दौरान आनन्दी देवी,जोतराम सिंह,लाल मंडी,प्रेम लता,सुशीला देवी आदि ग्रामीण मौजूद रहे।
पाबौ//आपने अक्सर देखा होगा कि शिक्षक,जिलास्तरीय अधिकारी,जिला अधिकारी या बड़े अधिकारियों का जब इनका ट्रांसफर होता है तो ग्रामीण बड़े हर्ष उल्लास के साथ उन्हें विदाई देते हैं लेकिन शुक्रवार को पाबौ चौकी में तैनात एक पुलिस का सिपाही जब लगभग 5 वर्ष चौकी में सेवा देने के बाद कोटद्वार ट्रांसफर हुए तो ग्रामीणों ने भीगी पलकों के साथ पुलिस सिपाही को विदाई दी। उत्तराखंड को इसीलिए देवभूमि कहा जाता है क्योंकि यहाँ के रास्ते भले ही पहाड़ टेढ़े-मेढ़े हो, लेकिन यहां के लोग बड़े ही सीधे व सरल होते हैं। पाबौ चौकी में लगभग 5 वर्ष सेवाएं देने वाले पुलिस का0 रविंद्र भट्ट का पाबौ चौकी से जैसे ही स्थानांतरण कोटद्वार होने की सूचना ग्रामीणों को मिली ग्रामीण रविंद्र भट्ट को विदाई देने के लिए मुख्य बाजार पाबौ पहुंच गए। इस दौरान पाबौ के समस्त व्यापार संघ व क्षेत्रीय जनता ने उन्हें भव्य विदाई दी। इस दौरान सभी की आंखें भीग गई। पुलिस कांस्टेबल रविंद्र भट्ट यह दृश्य को देखकर यकीन नहीं कर पा रहे थे की क्षेत्रीय ग्रामीण और व्यापारी उन्हें इतना प्यार और सम्मान के साथ विदाई दे रहे थे। इस दौरान व्यापार मंडल के सदस्य टैक्सी यूनियन के सदस्य व ग्रामीण लोग मौजूद रहे।