पहाड़ का सच्चा सपूत: 15 वर्षों तक विषम परिस्थितियों में सेवाएं देने के बाद चुपचाप जनपद से विदा हुए डॉ. रमेश कुँवर

0
2698

रिपोर्ट/मुकेश बछेती

 

पौड़ी(पहाड़ ख़बरसार)जनपद पौड़ी की विषम भौगोलिक परिस्थितियों में जहां डॉक्टरों की कमी हमेशा महसूस की जाती है, वहीं ऐसे चुनिंदा डॉक्टर भी रहे हैं जिन्होंने अपने कर्म और समर्पण से लोगों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। उन्हीं में से एक नाम है डॉ. रमेश कुँवर, जिन्होंने लगभग 15 वर्षों तक जनपद पौड़ी के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देकर लोगों का विश्वास जीता।

*2007 में थलीसैंण ब्लॉक से शुरू हुई सेवा*

29 नवंबर 2007 को जब डॉ. रमेश कुँवर ने थलीसैंण ब्लॉक से अपनी सेवाओं की शुरुआत की, तभी उन्होंने यह ठान लिया था कि पहाड़ की कठिन परिस्थितियों के बावजूद वे यहां के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराएंगे। पीजी करने के बाद भी उन्होंने मैदानी चकाचौंध को ठुकराते हुए एक बार फिर पहाड़ का रुख किया और प्रभारी चिकित्सा अधिकारी पाबौ के पद पर कार्यभार संभाला।

*फार्माकोलॉजी और शिशु रोग विशेषज्ञ*

फार्माकोलॉजी में स्पेशलाइजेशन करने वाले डॉ. कुँवर को शिशु रोग विशेषज्ञ के रूप में भी जाना जाता था। उनके द्वारा दी गई दवाओं से बच्चे जल्द स्वस्थ हो जाते थे। यह उनकी विशेषज्ञता और संवेदनशीलता का ही परिणाम था कि लोग उन पर आँख मूँदकर भरोसा करते थे।

*कोविड-19 काल में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका*

कोविड-19 की भयावह परिस्थितियों में भी डॉ. कुँवर ने नोडल अधिकारी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कठिन परिस्थितियों में उन्होंने न सिर्फ अपनी जिम्मेदारियों को निभाया बल्कि कई लोगों को जीवनदान दिया।

*पहाड़ से अटूट जुड़ाव*

डॉ. कुँवर का पहाड़ प्रेम उनके व्यक्तित्व का सबसे बड़ा परिचायक रहा। कई डॉक्टर जहां पहाड़ों की कठिनाइयों से बचकर मैदानों की ओर चले गए, वहीं उन्होंने कभी भी मैदानों में जाने की जिद नहीं पाली। दिन हो या रात, आपातकालीन परिस्थितियों में भी वे मरीजों के लिए सदैव उपलब्ध रहे।

*2018 में बने अपर चिकित्सा अधिकारी*

अपने कुशल कार्य और समर्पण को देखते हुए वर्ष 2018 में उन्हें अपर चिकित्सा अधिकारी के पद से नवाजा गया। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण योजनाओं को धरातल पर उतारने में अहम भूमिका निभाई।

*परिवार भी बना पहाड़ की ताकत*

डॉ. कुँवर की धर्मपत्नी भी पौड़ी में डॉक्टर के पद पर कार्यरत हैं, जबकि उनकी पुत्री पौड़ी के ही विद्यालय में पढ़ रही है। यह परिवार पलायन की प्रवृत्ति को चुनौती देता हुआ पहाड़ की उम्मीदों को मजबूत करता रहा।

*चुपचाप छोड़ गए जनपद*

लगभग 18 साल की सेवाओं के बाद जब डॉ. कुँवर ने जनपद पौड़ी को अलविदा कहा और हरिद्वार के लिए प्रस्थान किया, तो किसी को खबर तक नहीं लगी। लेकिन उनकी विदाई के समय कई कर्मचारी और ग्रामीण भावुक हो उठे।

*पहाड़ को आज भी है जरूरत*

आज जब पलायन और डॉक्टरों की कमी जैसी चुनौतियां पहाड़ को घेरे हुए हैं, तो ऐसे में डॉ. रमेश कुँवर जैसे सच्चे सेवाभावी डॉक्टरों की और भी ज्यादा आवश्यकता है।

जनपद पौड़ी और पूरे गढ़वाल की जनता उनकी अमूल्य सेवाओं को सदैव याद रखेगी।
हम उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं और आशा करते हैं कि एक दिन वे फिर से पहाड़ की सेवा में लौटेंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here