रिपोर्ट/मुकेश बछेती
पाबौ(पहाड़ ख़बरसार)महिला सशक्तिकरण व बाल विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री एकल स्वरोजगार योजना का उद्देश्य जिले की विधवा, तलाकशुदा, दिव्यांग एवं किन्नर जैसी एकल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना था। योजना के तहत वार्षिक आय ₹72,000 से कम होने पर पात्र महिलाओं को स्वरोजगार हेतु ₹2 लाख तक का अनुदान देने का प्रावधान किया गया था, जिसमें 75 प्रतिशत सब्सिडी सरकार द्वारा दी जानी थी। इसके तहत कृषि, ब्यूटी पार्लर, सिलाई-कढ़ाई सहित कई प्रशिक्षणपरक गतिविधियों से जोड़ने की योजना थी।
हालांकि विभाग से योजना की निचले अस्तर तक न पहुचने और प्रचार-प्रसार की कमी के चलते कई महिलाएं इससे वंचित रह गईं।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं जेष्ठ प्रमुख दीपक असवाल के अनुसार उनके क्षेत्र की कई महिलाएं, जिन पर बच्चों और परिवार की जिम्मेदारी है, योजना के बारे में अनभिज्ञ रह गईं। उन्होंने विभाग की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाता तो ऐसी महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो सकती थीं।
पूर्व ब्लॉक प्रमुख पाबौ डॉ. रजनी रावत ने भी विभाग की लापरवाही पर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि उनके संपर्क की लगभग एक दर्जन महिलाएं आवेदन करने से चूक गईं। उन्होंने मांग की कि विभाग को बेहतर ढंग से प्रचार-प्रसार करना चाहिए था ताकि क्षेत्र की अंतिम महिला तक इसका लाभ पहुंच सके।
जिलाधिकारी पौड़ी स्वाति एस. भदौरिया ने बताया कि आवेदन की अंतिम तिथि 20 अगस्त थी और विभाग को 111 आवेदन प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि यदि कुछ महिलाएं वंचित रह गई हैं तो शासन स्तर पर आवेदन की तिथि बढ़ाने के लिए पत्राचार किया जाएगा।
इस प्रकार, महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई यह महत्वाकांक्षी योजना प्रचार-प्रसार की कमी के कारण धरातल पर कमजोर होती दिख रही है।