रिपोर्ट/मुकेश बछेती
देहरादून/ अहमदाबाद (पहाड़ ख़बरसार)
उत्तराखंड सहकारिता विभाग के प्रादेशिक कोऑपरेटिव यूनियन के माध्यम से हिमाचल और गुजरात राज्य के अध्ययन भ्रमण पर 13-13 सदस्य किसानों का दल पांच दिवसीय अध्ययन
पर है।
अध्ययन भ्रमण के प्रथम दिवस गुजरात राज्य के सुरेंद्र नगर जनपद में मेमका पैक्स समिति का भ्रमण किया गया। उसके पश्चात खेतों में कपास जीरा की खेती की बारीकियां को जाना सुरेंद्रनगर में कपास फैक्ट्री में भी किसानों के अध्ययन दल ने भ्रमण किया अध्ययन भ्रमण के द्वितीय दिवस जनपद आणंद में अमूल मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट में भ्रमण किया गया। किस प्रकार 36 लाख किसानों से दूध इकट्ठा कर प्रोसेसिंग किया जाता है और अमूल बटर का किस प्रकार उत्पादन किया जाता है किसानों के दल के द्वारा अमूल मिल्क यूनिट में स्थलीय भ्रमण कर जानकारी ली गई । इस अवसर पर अमूल मिल्क के प्रतिनिधियों द्वारा किसानों को अमूल मिल्क के इतिहास से लेकर सभी गतिविधियों से अवगत कराया गया अमूल मिल्क के पश्चात आनंद कृषि विश्वविद्यालय में बीज मधुमक्खी पालन और औषधीय और शगंध पादप के बारे में जानकारी ली गई इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा के द्वारा किसानों को जानकारी दी गई अगले दो दिवस किसानों के द्वारा सहकारिता से संबंधित अन्य संस्थाओं का भी भ्रमण किया जाएगा गुजरात अध्ययन भ्रमण में सहकारिता विभाग से अधिकारी भी इस दल के साथ रवाना किए गए हैं सभी किसानों के द्वारा उत्तराखंड की पारंपरिक टोपी पहनकर अध्ययन भ्रमण की किया जा रहा है उत्तराखंड की टोपी सभी संस्थाओं में कर्मचारी और किसानों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है
आजकल विश्व भर में आणंद (Amul) दूध और दूध से बने उत्पादों की बड़ी संगठन है, जिसकी मशहूरी उसके एकीकरण के कारण हो गई है। अमूल के पीछे 36 लाख किसानों का समूह खड़ा है, जो देश के विभिन्न हिस्सों से दूध इकट्ठा करके अमूल प्रोसेसिंग यूनिट में भेजते हैं। आणंद दूध संघ भारतीय किसानों का एक महत्वपूर्ण संगठन है, जो 1946 में स्थापित हुआ था। अमूल का मुख्यालय गुजरात राज्य के आनंद नगर में स्थित है। दूध और दूध से बने उत्पादों की प्रमुख ब्राण्ड के रूप में अमूल का मान्यता सम्मान भारतीय बाजार में है।
अमूल में उत्पादन प्रक्रिया एक विस्तृत और चुनौतीपूर्ण कार्य है। प्रत्येक दिन, गांवों से लाखों लीटर दूध का संग्रह होता है, जो समकक्षी 36 लाख किसानों द्वारा उत्पन्न होता है। यह दूध इकट्ठा प्रक्रिया एक अत्यधिक आयात और निर्यात संगठन है, जहां हर दिन बड़े स्थानीय क्षेत्रों से हजारों लिटर दूध की मात्रा उत्पन्न होती है। यहां तक कि यह प्रक्रिया समूह के एकीकृत माध्यम से नियंत्रित होती है, ताकि संगठन के व्यवसायिक उद्योगों में दूध और उनसे बने उत्पादों की निर्माण क्षमता में सुधार हो सके।
यह दूध अमूल प्रोसेसिंग यूनिट में पहुंचाया जाता है, जहां यह विभिन्न परिष्कृत प्रक्रियाओं से गुजरता है। सबसे पहले, दूध को सप्ताह में एक-दो बार उबालने के लिए धोने के ताल की वजह से निम्नांकित दूध को उष्ण धारिताओं में उन्मुक्त कर दिया जाता है। इसके बाद, यह उष्ण दूध उन्मुक्त कंटेनरों में शामिल किया जाता है और उसे ताल के माध्यम से पंप किया जाता है।
वायु उन्मुक्त और इथिलीन उत्पन्न करने की जरूरत के बिना, दूध में मौजूद जीवाणुओं को कम करने के लिए उष्ण दूध पर्यावरण में जल्दी से ठंडा कर दिया जाता है। जब दूध का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से कम हो जाता है, तो इसे क्रीम में अलग करने के लिए उष्ण धारिताओं में उन्मुक्त कर दिया जाता है। बाद में, इसे मोटा रेखा फिल्टर प्रक्रिया से गुजारा जाता है, जिससे बाद के उत्पादन कार्य को सही प्रकार से संचालित किया जा सके।
अमूल में शीरो प्रक्रिया के बाद, यह उत्पाद अमूल बटर के रूप में बनाया जाता है। इसके लिए, उष्ण दूध को ष्किम में अलग करने के बाद, इसे बटरिंग प्लांट में ले जाया जाता है। यहां पर उष्ण दूध लघुमत्रा में निर्यात किए जाते हैं, जिससे उसमें से पानी निकाल दिया जाता है। इसके बाद, उम्मीदवार वसा गोंद द्वारा उत्पन्न अमूल लधारित बटर को मशीन द्वारा प्रेस करते हैं, जिससे घास की तारतम्य सम्पन्न बटर उत्पन्न होती है।
अमूल बटर उत्पादन प्रक्रिया के उदाहरण से पता चलता है कि इस ब्रांड की उत्पादन प्रक्रिया केवल एकही कर्मठ और अद्यतन उपकरण में संभव है। यह स्पष्ट रूप से दूध के विकास और इसके उत्पादन की स्थायित्व के विषय में अमूल द्वारा की गई बड़ी प्रगति का प्रमाण है।
उत्तराखंड से गये 13 किसानों ने अमूल दूध प्रोसेसिंग यूनिट की प्रक्रिया को देख कर कहा कि यह प्रक्रिया एक उन्नत और दक्ष उद्योग है, जो देश के लाखों किसानों के साथ संबंधित है।
अमूल की सफलता की गतिविधियों से यह प्रमाणित हो रहा है।
अध्ययन भ्रमण में जनपद रुद्रप्रयाग से वीरेंद्र रावत प्रभाकर भाकुनी अल्मोड़ा , जगदीश चंद्र चंपावत, ओम प्रकाश लखेड़ा देहरादून, सुशील चौधरी हरिद्वार, मोहन सिंह मेहरा नैनीताल, राम सिंह पौड़ी , दुर्गा सिंह पिथौरागढ़, दलवीर सिंह चौहान उत्तरकाशी, सहकारिता विभागीय अधिकारी दान सिंह नपच्याल सहायक निबंधक सुधीर सिंह लोहानी आदि शामिल है।