उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ व वर्तमान में पौड़ी गढ़वाल में जिलाधिकारी होते हुए अपने कार्यों की एक नई छाप छोड़ी है डॉ. चौहान ने
जिलाधिकारी के इन कार्यों को लोग करते हैं याद
रिपोर्ट/मुकेश बछेती
पौड़ी(पहाड़ ख़बरसार) उत्तराखंड प्रदेश के पौड़ी जिलाधिकारी दृढ़ इच्छाशक्ति से लबरेज आईएएस डॉ. आशीष चौहान आए दिन सुर्खियों में रहते है और ये सुर्खिया कुछ और नहीं बल्कि जन सरोकारों से जुड़ी सुर्खिया होती है जब उत्तरकाशी के जिलाधिकारी थे तो ग्रंतांगली जैसा ट्रेक खोज निकाला जिस पर आज देश विदेश के पर्यटक चलकदमी करते है। उसके बाद जब पिथौरागढ़ के डीएम थे तो बेडू का अचार मुरब्बा में मातृ शक्ति को जागरूक कर स्वावलंबी बनाने की ठान ली, गूंजी जैसे दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थान को विकसित करने की ठान ली और अब पौड़ी के जिलाधिकारी है तो आए दिन कुछ न कुछ नया करने की सोच ली और इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए जिलाधिकारी गढ़वाल डॉ. आशीष चौहान द्वारा ब्यासघाट-यमकेश्वर पौराणिक पैदल मार्ग पर पड़ने वाला पड़ाव कोटलीभेल (महादेवचट्टी) में लकड़ी का पुल के स्वरूप में विकसित किया, जहाँ आज देश-दुनिया के लोग वहाँ उसे देखने के लिए आते हैं। उसके बाद उन्होंने पिथौरागढ़ जैसे बेडू के अचार व चटनी को भी पौड़ी में शुरू किया। जहाँ आज कई महिलाओं को स्वरोजगार मिल रहा है। उसके बाद उन्होंने चीड़ के बीच (चेंता) की ओर कदम बढ़ाया। जिसकी आगे की कार्यवाही की जा रही है।
अब उन्होंने जनपद पौड़ी में स्थित ऐतिहासिक स्थल देवलगढ़ का स्थलीय निरीक्षण किया गया तथा देवलगढ़ को देवलगढ़ केव्स (गुफाएं) के नाम से विकसित करने का संकल्प लिया गया।
इस दौरान जिलाधिकारी ने पंवार वंश की कुलदेवी राजराजेश्वरी देवी और मां दुर्गा के प्राचीन मंदिर , पंवार वंश के राजाओं के निवास तथा देवलगढ़ की ऐतिहासिक गुफाओं का भी अवलोकन किया।इस दौरान जिलाधिकारी द्वारा गुफा में स्वयं उतरकर उसका अवलोकन भी किया। अवलोकन के दौरान उन्होंने कहा कि देवलगढ़ को देवालगढ़ केव्स के नाम से विकसित किया जाएगा। इसके लिए वन विभाग, पर्यटन विभाग, संस्कृति विभाग और अन्य संबंधित विभागों के समन्वय से कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
कुल मिला कर काम और काम का नाम है डॉक्टर आशीष चौहान जो वातानुकूलित कक्ष को छोड़ प्राकृतिक आवोहवा के बीच रहना और कार्य करना पसंद करते हैं।